बन अज्ञानी ज्ञान का दीप जलाता हैं, वह सदा ही जग से अंधेरा दूर भगाता हैं ! बन अज्ञानी ज्ञान का दीप जलाता हैं, वह सदा ही जग से अंधेरा दूर भगाता हैं !
रुके ना तू झुके ना तू, बन जा आंधी, कि फिर थमे ना तू | मन में ज्वाला जलने दे, सपनो की नगरी बसने दे |... रुके ना तू झुके ना तू, बन जा आंधी, कि फिर थमे ना तू | मन में ज्वाला जलने दे, सप...
तब कहीं तुम पथ पर चल सकते हो तब तुम मंजिल की ओर बढ़ सकते हो। तब कहीं तुम पथ पर चल सकते हो तब तुम मंजिल की ओर बढ़ सकते हो।
एक ग़ज़ल...। एक ग़ज़ल...।
खिड़की...। खिड़की...।
सूरज की किरण...। सूरज की किरण...।